गृह विज्ञान कला एवं विज्ञान का समन्वय है जिसमें आहार एवं पोषण, मातृ कला एवं बाल विकास, वस्त्रा विज्ञान एवं परिधन, गृह प्रबंध् एवं प्रसार शिक्षा की विध्वित जानकारी गृह विज्ञान का अध्ययन करने वाली छात्राओं को दी जाती है। प्रस्तुत पाठ्य पुस्तक मातृ कला एवं बाल विकास पर आधारित है।
बालक राष्ट्र के अनमोल ध्रोहर है तथा भावी भविष्य के धरक है एवं परिवार की पूरी तरह से यह जिम्मेदारी बनती है कि गर्भाधन से ही शिशु को जन्म देने वाली माता एवं होने वाले शिशु के संपूर्ण विकास काल की जानकारी बालिकाओं को दी जाए। क्योंकि आज की बालिकाएँ भविष्य की माता के रूप में होंगी जिससे बालिकाओं को शिशु जन्म एवं उनके विकास के समस्त पहलुओं से अवगत होना अत्यन्त अनिवार्य है।
अतः प्रस्तुत पाठ्य पुस्तक में गर्भावस्था, नवजात शिशु अवस्था एवं बाल्यावस्था में होने वाले समस्त विकास की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है। पुस्तक को सरल बनाने के लिए स्पष्ट एवं सरल भाषा का प्रयोग किया गया है तथा जहाँ आवश्यक है चित्रा एवं सारिणी के माध्यम से भी तथ्यों को समझाने का प्रयास किया गया है। आशा है यह पुस्तक गृह विज्ञान की छात्राओं के लिए अत्यंत ही लाभदायक होगी।
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